अभियुक्त का रिमाण्ड (धारा 167 व धारा 309 सीआरपीसी)
जब कोई अभियुक्त गिरफ्तार किया जाता है तथा उसके विरूद्ध साक्ष्य पाया जाता है तथा यह प्रतीत होता है कि धारा 57 सीआरपीसी के द्वारा नियत 24 घण्टे के अन्दर विवेचना पूर्ण नहीं हो सकती है तब थानाध्यक्ष अथवा विवेचक अभियुक्त को धारा 167 सीआरपीसी के तहत निकटतम न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष केस डायरी के साथ प्रस्तुत करेगा।
न्यायिक मजिस्ट्रेट ऐसे अभियुक्त का ऐसी अभिरक्षा में व इतनी अवधि के लिये जो कुल मिलाकर 15 दिन से अधिक नहीं होगी निरूद्ध किया जाना समय-समय पर प्राधिकृत कर सकता है। कुल मिलाकर 90 दिन से अधिक की अवधि के लिये प्राधिकृत नहीं करेगा जहाँ अन्वेषण ऐसे अपराध के सम्बन्ध में है जो मृत्यु, आजीवन कारावास या 10 वर्ष से अन्यून की अवधि के लिये कारावास से दण्डनीय है।
अन्य मामले में अधिकतम 60 दिन से अधिक की अवधि के लिये प्राधिकृत नहीं करेगा।
जब अभियुक्त के विरूद्ध विवेचक द्वारा आरोप पत्र मा0न्यायालय में दाखिल कर दिया जाता है तब विवेचक द्वारा 167 सीआरपीसी के तहत अभियुक्त का रिमाण्ड प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं रहती है बल्कि मा0 न्यायालय द्वारा उक्त अभियुक्त का रिमाण्ड धारा 309 सीआरपीसी के तहत बनाकर न्यायिक अभिरक्षा में प्रेषित किया जाता है।
जमानत का विरोधः-
विवेचक का प्रमुख कर्तव्य है कि जो अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा में है तथा जमानत पर छूटने हेतु मा0न्यायालय के समक्ष जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया है, उसका सार्थक व विधिक तरीके से विरोध करे। अभियुक्त के जमानत प्रार्थना पत्र के विरोध के समय विवेचक को चाहिये कि वह अपराध के सम्बन्ध में उपलब्ध साक्ष्य को मा0न्यायालय के समक्ष विधिक रूप से प्रस्तुत करें साथ ही अभियुक्त के आचरण मानसिक प्रवृत्ति तथा आपराधिक इतिहास का पूर्ण विवरण मा0न्यायालय के समक्ष रखकर न्यायालय को आश्वस्त करें कि अभियुक्त जमानत पर छूटने पर साक्ष्य तथा साक्षी को प्रभावित कर सकता है जो अभियोजन तथा न्याय के हित में नहीं होगा। ऐसा करने पर निश्चित रूप से अभियुक्त का जमानत प्रार्थना पत्र के निरस्त होने की प्रबल सम्भावना रहती है।
जमानत निरस्तीकरण के सम्बन्ध में निम्नानुसार कार्यवाही करायी जानी चाहियेः- जमानत निरस्तीकरण में थाना स्तर से निम्न आधारों पर जमानत निरस्तीकरण का प्रार्थनापत्र सम्बन्धित न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना चाहियेः-
1- अभियुक्त ने पुनः उसी अपराध को कारित किया/जमानत का दुरूपयोग/जमानत की शर्तों का उल्लंघन होना,
2- जमानत के बाद अभियुक्त की दोषिता को इंगित करने वाली कुछ अन्य सामग्री मिली हो, या
3- अभियुक्त किसी भी रीति से अन्वेषण में बाधा डाल रहा हो या अभियुक्त गवाहों को डरा/धमका रहा हो एवं साक्ष्य को तोड़ रहा हो, या
4- अभियुक्त के फरार होने अथवा भूमिगत होने की सम्भावना हो या न्याय से बचने के लिए देश से भागने का प्रयास कर रहा हो,
5- अभियुक्त गवाहों के प्रति हिंसा का प्रयोग कर रहा हो।
6- थाना स्तर से जमानत निरस्तीकरण का प्रस्ताव वादी के शपथ पत्र के साथ।