अभियुक्त से पूछताछ में वैज्ञानिक साधनों का प्रयोग किया जायेः- वर्तमान समय में अभियुक्तों व संदिग्ध लोगों से पूछताछ करने में वैज्ञानिक साधनों का प्रयोग किया जा रहा है। इनके द्वारा परीक्षण करके यह पता लग सकता है कि अभियुक्त/संदिग्ध सच बोल रहा है या झूठ बोल रहा है। ये साधन निम्न हैः-
1– पालीग्राफी (झूठ बोलने का पता लगाना)- पालीग्राफी एक वैज्ञानिक तकनीक है इस टेस्ट में संदिग्ध अभियुक्त/संदिग्ध के पूछताछ के समय शारीरिक परिवर्तनों के आधार पर सच/झूठ बोलने का पता लगाया जाता है। यह सुविधा केन्द्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला नई दिल्ली में उपलब्ध है, जहाँ पालीग्राफ के लिये निम्न प्रक्रिया अपनायी जाती हैः-
- विवेचक अपराध का संक्षेप में वह बिन्दु उपलब्ध कराता है जिसपर अभियुक्त/संदिग्ध व्यक्ति से स्पष्टीकरण लेना है।
- विशेषज्ञ उसके आधार पर प्रश्नावली तैयार करता है।
- परीक्षण के पूर्व विशेषज्ञ अभियुक्त को बताता है कि वह चाहे तो इस टेस्ट से इनकार कर सकता है।
पालीग्राफ टेस्ट
2- फोरेन्सिक एकास्टिक (अभियुक्त की आवाज की पहचान करना)- अपहरण, दबा कर पैसा वसूलने, धमकी, अश्लील उत्पीड़न आदि में फोन का उपयोग बढ़ रहा है। ऐसे मामलों में साऊण्ड स्पैक्ट्रोग्राफ का प्रयोग कर बोलने वाले की पहचान नमूने से मिलान कर किया जा सकता है। यह सुविधा केन्द्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला नई दिल्ली में उपलब्ध है।
3- ब्रेन मैपिंगः- डाक्टर लारेन्स फारवेल नामक अमेरिकी मस्तिष्क विशेषज्ञ ने ब्रेन फिल्म प्रिन्टिंग नामक एक प्रक्रिया विकसित की है। अभियुक्त को इस प्रक्रिया में एक हेलमेट जैसा उपकरण पहनाया जाता है, जिसमें ईसीजी के 16 तार जुड़े होते हैं। सम्बन्धित व्यक्ति के मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में न्यूरान की गतिविधि स्क्रीन पर देखी जाती है।
4- नारको टेस्टः- यह मनोवैज्ञानिक चिकित्सकीय प्रणाली है। इसमें एनेस्थिसिया के डाक्टर व एक मनोवैज्ञानिक की आवश्यकता होती है। अभियुक्त के नस में सोडियम पेन्टाथाल व एनिटाल नामक दवा का इंजेक्शन देकर उसे अर्द्धसुप्तावस्था में किया जाता है। तत्पश्चात अभियुक्त से पूछताछ की जाती है। यह प्रक्रिया अत्यन्त कुख्यात एवं राष्ट्रविरोधी अपराधियों के विरूद्ध ही प्रयोग में लाया जा सकता है। क्योंकि यह विधिक दृष्टिकोण से मौलिक अधिकार के विपरीत है।
5- डी0एन0ए0 टेस्टः- अभियुक्त की डी0एन0ए0 फिंगर प्रिन्टिंग अत्याधुनिक तकनीक है तथा इसका परिणाम 100 प्रतिशत सही आता है। इसकी सहायता से पितृत्व सिद्ध करने, हत्या, बलात्कार एवं अन्य मामलों में सही अपराधियों तक पहुँचा जा सकता है क्योंकि हर व्यक्ति के डी0एन0ए0 का अलग सिक्वेन्स होता है।
नमूना डीएनए