पंचायतनामा
पंचायतनामा की कार्यवाही समान्यतया 174 सीआरपीसी (अन्यथा 176 सीआरपीसी) के तहत व पुलिस रेगुलेशन के पैरा-129 से 142 के अनुसार की जाती है। पंचायतनामा की कार्यवाही के पूर्व शव का फोटोग्राफी विभिन्न कोण से अवश्य करा लेनी चाहिये। पंचायतनामा की कार्यवाही जहाँ शव पाया गया है, वहीं करनी चाहिये जैसे- यदि घटनास्थल पर ही मृतक का शव पड़ा है तो घटनास्थल पर यदि शव अस्पताल या अन्यत्र पाया गया है तो वहीं पर पंचायतनामा की कार्यवाही कम से कम दो अथवा अधिक जनसाक्षियों की मौजूदगी में पुलिस अथवा मजिस्ट्रेट (दहेज हत्या व पुलिस अभिरक्षा मृत्यु के मामले में) द्वारा तैयार किया जाना चाहिये। पंचायतनामा में शव पर पाये जाने वाले घाव, अस्थिभंग, नीलगू या अन्य क्षति के चिन्हों का वर्णन और कथन अवश्य होना चाहिये कि ऐसे चिन्ह या घाव, चोट किस प्रकार से और किस आयुध या उपकरण द्वारा आना प्रतीत होता है। साथ ही शव के कपड़ों का भी अत्यन्त बारीकी से निरीक्षण कर उल्लेख करना चाहिये। जैसे- अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु सीने पर गोली लगने से हुयी है तो पहने हुये वस्त्र पर छेद अवश्य मिलेगा तथा बारूद के कण आदि के भी मिलने की प्रबल सम्भावना रहती है। पोस्टमार्टम के बाद शव पर पहने हुये वस्त्र की मांग अवश्य करनी चाहिये।
यदि शव अज्ञात है तो भविष्य में पहचान हेतु शव के पोस्टमार्टम के समय डीएनए परीक्षण हेतु सैम्पल रखने हेतु चिकित्सक को रिपोर्ट देनी चाहिये। ताकि भविष्य में पहचान हेतु डीएनए टेस्ट कराया जा सके।
पंचायतनामा की कार्यवाही