दहेज हत्या (धारा 304 B IPC)
दहेज मृत्यु (हत्या) की परिभाषाः–
(1)- जहाँ किसी स्त्री की मृत्यु किसी दाह या शारीरिक क्षति द्वारा कारित की जाती है या उसके विवाह के सात वर्ष के भीतर सामान्य परिस्थितियों से अन्यथा हो जाती है और यह दर्शित किया जाता है कि उसकी मृत्यु के कुछ पूर्व उसके पति ने या उसके पति के किसी नातेदार ने, दहेज की किसी मांग के लिए, या उसके सम्बन्ध में, उसके साथ क्रूरता की थी या उसे तंग किया था, वहाँ ऐसी मृत्यु को “दहेज मृत्यु“ कहा जाएगा, और ऐसा पति या नातेदार उसकी मृत्यु कारित करने वाला समझा जाएगा।
स्पष्टीकरण— इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए “दहेज“ का वही अर्थ है, जो दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 (1961 का 28) की धारा 2 में है।
(2)- जो कोई दहेज मृत्यु कारित करेगा वह कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा।
(3)- दहेज मृत्यु की विवेचना राजपत्रित पुलिस अधिकारी द्वारा किया जायेगा।
(4)- दहेज मृत्यु के मामले में अपनी निर्दोषिता सिद्ध करने का भार अभियुक्त पर होगा।
प्रवृत्तिः– दहेज मृत्यु (हत्या) एक संज्ञेय अपराध है, अजमानतीय है, तथा सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है।