मूल पंचायतनामा,पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अवलोकन तथा पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर का पोस्टमार्टम रिपोर्ट के सभी बिन्दुओं पर स्पष्ट कथन अंकित करनाः-
शव के पोस्टमार्टम के बाद मूल पंचायतनामा तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट का गहराई से अवलोकन करना चाहिये तथा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अंकित सभी बिन्दुओं विशेषकर एन्टीमार्टम इन्जरी, मृत्यु के कारण आन्तरिक अंगों की स्थिति के सम्बन्ध में पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर से विस्तृत पूछताछ कर कथन केसडायरी में अंकित करना चाहिये। यदि डाक्टर द्वारा बिसरा सुरक्षित किया गया है तो (विष से मृत्यु के प्रकरण में) तो बिसरा परीक्षण हेतु तुरन्त भेज देना चाहिये।
बिसरा निम्न तरीके से भेजना चाहिये –
1- बिसरा प्रदर्श चिकित्साधिकारी द्वारा भली-भाँति संरक्षित कराकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजना चाहिये।
2- बिसरा के प्रदर्शों को कांच के चौड़े मुँह वाली बोतल/जार जिसमें कम से कम 50 ML मात्रा आ सके, उसमें संरक्षित कर सील कर ही परीक्षण हेतु भेजा जाना चाहिये। यह भी सुनिश्चित कर लिया जाये कि प्रदर्श लीक ना हो तथा उन पर लगी सील पठनीय व संलग्न किये गये नमूना मोहर से मिलान किये जाने योग्य हो। बिसरा परीक्षण प्रदर्श के साथ 1-अग्रेसण पत्र, 2-पंचायतनामा की प्रमाणित प्रतिलिपि, 3-पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रतिलिपि, 4-एफआईआर की प्रमाणित प्रतिलिपि अवश्य भेजी जाये।
विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण हेतु भेजे जाने वाले प्रदर्शों के सम्बन्ध में क्या-क्या प्रश्न पूछना चाहियेः- विधि विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण हेतु जो प्रदर्श विवेचक द्वारा भेजे जाते हैं, उनके सम्बन्ध में निम्न प्रश्न पूछना लाभदायक होता हैः-
1- घटनास्थल पर प्राप्त खोखा कारतूस तथा मृतक के शरीर से प्राप्त बुलेट क्या एक ही कारतूस के हैं ?
2- अभियुक्त के निशानदेही पर बरामद आग्नेयास्त्र से ही घटनास्थल पर प्राप्त खोखा कारतूस को फायर किया गया था ?
3- घटनास्थल पर प्राप्त खूनालूद मिट्टी (A1) तथा मृतक के शरीर से प्राप्त पहने हुये खूनालूद वस्त्र पर मानव रक्त है ? यदि मानव रक्त है तो क्या एक ही ग्रुप का है ?
4- मृतक के शरीर से प्राप्त पहने हुये खूनालूद वस्त्र पर बने छिद्र पर बारूद के कण मौजूद हैं ?