अभियुक्त की गिरफ्तारी/हाजिर न होने की दशा मेः-
- NBW की कार्यवाहीः- यदि विवेचक को विवेचना से अभियुक्त के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं तथा अभियुक्त जानबूझ कर गिरफ्तारी से बचने के उद्देश्य से फरार है तो यह तथ्य मा0न्यायालय के समक्ष लाकर अभियुक्त की गिरफ्तारी हेतु गैर जमानतीय वारन्ट प्राप्त कर अभियुक्त की गिरफ्तारी करनी चाहिये।
- 82 P.C. की कार्यवाहीः- मा0न्यायालय द्वारा अभियुक्त के विरूद्ध जारी गैर जमानतीय वारन्ट के तामीला के प्रक्रम में जब अभियुक्त की गिरफ्तारी नहीं हो पाती है तथा अभियुक्त गिरफ्तारी से बचने हेतु जानबूझ कर फरार हो जाता है तो गिरफ्तारी के प्रयासों तथा अभियुक्त के फरार होने के तथ्यों को मा0 न्यायालय के समक्ष विवेचक द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। जिसपर मा0न्यायालय द्वारा 82 Cr.P.C. के तहत अभियुक्त के फरार होने की उद्घोषणा जारी किया जाता है, जिसका तामीला मुनादी कराते हुये नियमानुसार विवेचक द्वारा करना चाहिये तथा केस डायरी में उल्लेख अंकित करना चाहिये।
- 174 A भादवि का पंजीकरणः- मा0न्यायालय द्वारा जारी 82 P.C. के तहत उद्घोषणा (तामीलशुदा) में निर्दिष्ट अवधि (30 दिन से अधिक) व्यतीत हो जाने के पश्चात भी यदि अभियुक्त न्यायालय के समक्ष उपस्थित नहीं होता है तो अभियुक्त के विरूद्ध 174 (A) भादवि का अभियोग पंजीकृत कर अभियुक्त के विरूद्ध 83 Cr.P.C. के तहत कार्यवाही करने हेतु मा0न्यायालय के समक्ष निवेदन किया जाता है।
- 83 P.C. की कार्यवाहीः- मा0न्यायालय को अधिकार है कि धारा 82 के अधीन उद्घोषणा जारी होने के पश्चात अभियुक्त की चल या अचल सम्पत्ति की कुर्की का आदेश दे सकता है। कुर्की होने के पश्चात भी यदि अभियुक्त न तो गिरफ्तार होता है और न ही निकट भविष्य में उसके न्यायालय में हाजिर होने की उम्मीद है तो ऐसी स्थिति में उसके विरूद्ध आरोप पत्र न्यायालय के समक्ष प्रेषित किया जाता है तथा आवश्यकतानुसार 299 सीआरपीसी के तहत कार्यवाही की जाती है।