अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु मुखबिर लगाना,तथा गिरफ्तारी हेतु फोन नम्बरों को समानान्तर लाईन (लिस्निंग) पर सुनकर गिरफ्तारी का प्रयास करनाः-
विवेचक को अपराध से सम्बन्धित अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु तुरन्त प्रयास करना चाहिये, यदि अभियुक्त फरार हों तो उनका विवरण कन्ट्रोल रूम को देना चाहिये जिससे अभियुक्तों की खोज व्यापक स्तर पर करायी जा सके। अभियुक्त की गिरफ्तारी हेतु समानान्तर लाईन (लिस्निंग) पर महत्वपूर्ण नम्बरों को सुनना भी काफी लाभदायक होता है। अभियुक्त की गिरफ्तारी जल्दी होने से कुछ महत्पूर्ण साक्ष्य प्राप्त हो जाते हैं।
अभियुक्त की गिरफ्तारीः- किसी अभियुक्त की गिरफ्तारी दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 46 के अनुसार की जायेगी। धारा 46 दं0प्र0सं0 में वर्णित है कि-
1- गिरफ्तारी करने में पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति जो गिरफ्तारी कर रहा है, गिरफ्तार किये जाने वाले व्यक्ति के शरीर को वस्तुतः छुयेगा या परिरूद्ध करेगा, जब तक उसने बचन या कर्म द्वारा अपने को अभिरक्षा में समर्पित न कर दिया हो। परन्तु जहाँ किसी स्त्री को गिरफ्तार किया जाता है, जब तक पुलिस अधिकारी महिला न हो पुरूष पुलिस अधिकारी स्त्री की गिरफ्तारी के लिये (जब तक परिस्थितियाँ प्रतिकूल संकेत न दें) उसके शरीर का स्पर्श नहीं करेगा।
2- यदि ऐसा व्यक्ति अपने गिरफ्तार किये जाने के प्रयास का बलात् प्रतिरोध करता है, या गिरफ्तारी से बचने का प्रयत्न करता है तो ऐसा पुलिस अधिकारी या अन्य व्यक्ति गिरफ्तारी करने के लिये आवश्यक संसाधनों को उपयोग में ला सकता है।
3- जिस अभियुक्त पर मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का अभियोग नहीं है, मृत्यु कारित करने का अधिकार दौरान गिरफ्तारी नहीं है।
4- असाधारण परिस्थितियों के सिवाय कोई स्त्री सूर्यास्त के पश्चात और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं की जायेगी और जहाँ ऐसी असाधारण परिस्थितियाँ हों वहाँ स्त्री पुलिस अधिकारी लिखित में रिपोर्ट करके ऐसे प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की अनुमति प्राप्त करेंगी, जिनकी स्थानीय अधिकारिता के भीतर अपराध किया गया है या गिरफ्तारी की जानी है।
गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को क्रमशः धारा 49,50,50क,51,52,53,53क,54,54क दं0प्र0सं0 का पालन अवश्य ही गिरफ्तार करने वाले व्यक्ति को करना चाहिये। साथ ही गिरफ्तारी के सम्बन्ध में मा0सर्वोच्च न्यायालय व मानवाधिकार आयोग के निर्देशों का पालन अवश्य करना चाहिये जो निम्नवत हैः-
अभियुक्तों की गिरफ्तारी के समय मा0उच्चतम न्यायालय के निर्णय डी.के.बसु बनाम स्टेट आफ वेस्ट बंगाल (रिट याचिका (क्रि0) सं0-539/86) निर्णित दिनांक-18-12-1996 में गिरफ्तारी के सम्बन्ध में दिये गये अनिवार्य दिशा-निर्देश का पालन अवश्य करना चाहिये।
गिरफ्तारी के सम्बन्ध में मा0उच्चतम न्यायालय के निर्देश निम्नवत् हैः-
1- पुलिसकर्मी जो गिरफ्तारी करते हैं तथा गिरफ्तार व्यक्ति से पूछताछ करते हैं उन्हें शुद्ध, स्पष्टदर्शी व साफ पहचान की नाम पटिट्का धारण करनी चाहिये। वर्दी के साथ उनके पद के बैज अवश्य हों। उन सभी पुलिस कर्मियों का जो गिरफ्तार व्यक्ति से पूछताछ करते हैं, विवरण एक रजिस्टर में अंकित किया जाना चाहिये।
2- व्यक्ति की गिरफ्तारी के समय पुलिस अधिकारी एक फर्द (मेमो) तैयार करेगा, जिसे कम-से-कम एक व्यक्ति/गवाह द्वारा प्रमाणित किया जायेगा जो या तो अभियुक्त के परिवार का सदस्य हो अथवा उस क्षेत्र का सम्मानित व्यक्ति हो जहाँ पर गिरफ्तारी की गई। इस फर्द पर अभियुक्त द्वारा भी प्रतिहस्ताक्षर कराया आयेगा तथा इस पर गिरफ्तारी का समय व दिनाँक भी ऑकित होना चाहिये।
3- जो व्यक्ति गिरफ्तार किया गया है अथवा निरुद्ध किया गया है या किसी थाने की अभिरक्षा में/पूछताछ केन्द्र पर है या लॉकअप/हवालात में हैं, को यह अधिकार होगा कि उसके किसी मित्र/रिश्तेदार अथवा ऐसे व्यक्ति को जो उससे भली-भांति परिचित हों और उसका हितैषी हो, को जितना शीघ्र सम्भव हो साध्य-साधन से सूचना भेजी जायेगी और जिसमें यह स्पष्ट रूप से बताया जायेगा कि अमुक व्यक्ति गिरफ्तार किया गया और अमुक स्थान पर निरुद्ध किया गया है। यह प्रतिबन्ध ऐसे मामलों पर लागू नहीं होगा जिनमें गिरफ्तारी के मैमो पर गिरफ्तारी किये गये व्यक्ति के मित्र अथवा उसके सम्बन्धी के हस्ताक्षर कराये गये हों।
4- यदि गिरफ्तार किये गये व्यक्ति के मित्र अथवा रिश्तेदार जिले या कस्बे के बाहर के रहने वाले हैं तो उन्हें जिले की “लीगल ऐन्ड आर्गेनाईजेशन” एवं सम्बन्धित थाने द्वारा वायरलैस/टेलीग्राम के जरिये सूचना, गिरफ्तारी का समय एवं स्थान अंकित करते हुये 6 से 12 अंटे के अन्दर अवश्य दे दी जायेगी।
5- जैसे ही कोई व्यक्ति गिरफ्तार होता है पुलिस का यह दायित्व होगा कि वह उसे अपने इस अधिकार से अवगत करा दें कि वह अपनी गिरफ्तारी एवं अवरुद्धि के सम्बन्ध में किसी को सूचना दे सकता है।
6- किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के सम्बन्ध में निरुद्ध रखे जाने के स्थान पर डायरी में यह अंकित किया जाना जरूरी है कि गिरफ्तार व्यक्ति के किसी मित्र/रिश्तेदार को गिरफ्तारी की सूचना दी गई। उन पुलिस कर्मियों के नाम भी अंकित किये जायें, जिनकी अभिरक्षा में गिरफ्तार व्यक्ति को रखा गया है।
7- यदि गिरफ्तार व्यक्ति प्रार्थना करता है तो गिरफ्तारी के समय उसके शरीर की प्रत्येक बड़ी एवं छोटी चोटों का निरीक्षण करके विवरण निरीक्षण मेमो पर अंकित किया जायेगा। इस निरीक्षण मेमो पर गिरफ्तार व्यक्ति तथा पुलिस अधिकारी दोनों के हस्ताक्षर कराये जायें तथा फर्द की एक प्रति गिरफ्तार व्यक्ति को भी दी जाये।
8- हर गिरफ्तार किये गये व्यक्ति की डाक्टरी परीक्षा उसकी निरुद्धि के हर 48 घंटे के अन्दर प्रशिक्षित डाक्टर द्वारा अवश्य कराई जाये, जो महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य द्वारा अनुमोदित पैनल पर हो।
9- सभी अभिलेखों की प्रतियाँ गिरफ्तारी की फर्द सहित जैसा कि ऊपर सन्दर्भित किया गया है, क्षेत्र के मजिस्ट्रेट को उनके रिकार्ड के लिये भेजी जायेगी।
10- बन्दी बनाये गये व्यक्ति को पूछताछ के मध्य अपने अधिवक्ता से मिलने की अनुमति दी जा सकती हैं, परन्तु ऐसी सुविधा सम्पूर्ण पूछताछ के मध्य अनुमन्य नहीं होगी।
11- प्रत्येक राज्य मुख्यालय एवं जिले स्तर पर एक पुलिस कन्ट्रोल रूम बनाया जाये जहां प्रत्येक गिरफ्तार किये जाने वाले व्यक्ति व स्थान की सूचना गिरफ्तार करने वाले अधिकारी द्वारा 12 घंटे की अवधि के भीतर दी जायेगी। कन्ट्रोल रूम के बाहर एक नोटिस बोर्ड लगाया जायेगा, जिस पर सहजदृश्य यह सूचना अंकित की जायेगी।
“माननीय उच्चतम न्यायालय का यह महत्वपूर्ण निर्णय समस्त भारतवर्ष में प्रभावी है एवं साथ ही साथ यह विधिक व्यवस्था का प्रमुख अंग भी है। अत: आप सभी को निर्देशित किया जाता है कि उपरोक्त वर्णित व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर ही गिरफ्तारी की प्रक्रिया अपनाई जाये तथा माननीय उच्चतम न्यायालय के उक्त दिशा-निर्देशों से अपने अधीनस्थ सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को पूर्ण रूप से अवगत कराते हुये अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये।”
अभियुक्त का बयानः- जब कोई अभियुक्त अपराध के सम्बन्ध में गिरफ्तार होता है तो उससे निम्न बिन्दुओं पर अवश्य पूछताछ की जायेः-
1- अभियुक्त का नाम,उपनाम,पता,व्यवसाय,शिक्षा व उम्र।
2- अभियुक्त द्वारा घटना करने का कारण पूछा जाये।
3- अभियुक्त के साथियों के नाम-पते (सभी रिश्तेदारों के भी) तथा मोबाइल नम्बर पूछे जायें।
4- अभियुक्त से अवैध शस्त्रों के बारे में पूछ-ताछ की जाये।
5- अभियुक्त द्वारा बतायी गयी बातों की सच्चाई जानने हेतु पूछ-ताछ के दौरान CDR का सहारा अवश्य लिया जाये। अभियुक्त का कथन केस डायरी में अंकित किया जाये।
6- अभियुक्त से चोरी/लूटी हुयी सम्पत्ति के बारे में विस्तृत रूप से अवश्य पूछताछ किया जाये।
7- अभियुक्त के कब्जे से प्राप्त मोबाईल फोन को नियमानुसार कब्जा पुलिस में लेकर उसके सम्बन्ध में भी अभियुक्त से पूछताछ करना चाहिये तथा उक्त मोबाइल फोन में लगे सिम का CDR तथा IMEI रन कराकर एनालिसिस करना चाहिये।
कार्यवाही शिनाख्त वाले अपराधी को अपना चेहरा छिपाये रखने का अधिकारः- पुलिस रेगुलेशन के प्रस्तर 116 के अनुसार उस अभियुक्त को बापर्दा रखा जायेगा, जिसकी कार्यवाही शिनाख्त गवाहों से करायी जानी है और विवेचक को शुरू से ही यह सावधानी बरतनी होगी कि गवाह अभियुक्त के चेहरे को ना देख सकें और अभियुक्त को यह चेतावनी दी जाती है कि वह अपने चेहरे को छिपाकर रखे।
विवेचना में कब्जे में लिये गये सामान (आलाकत्ल,वाहन,फोन,रूपया आदि) की फर्द तैयार करनाः- गिरफ्तारशुदा अभियुक्त यदि विवेचक/पुलिस के समक्ष अपराध के सम्बन्ध में संस्वीकृति करता है तथा उसके निशानदेही पर यदि किसी अभियुक्त से या उसके घर से या घटनास्थल से अपराध से सम्बन्धित कोई वस्तु बरामद होती है और उसे विवेचक कब्जे में लेता है तो उसकी एक फर्द स्वतन्त्र गवाहों के समक्ष लिखी जानी चाहिये जिसपर गवाहों के व अभियुक्त के हस्ताक्षर बनवाये जाने चाहिये (दफा 27 साक्ष्य अधिनियम)। इस फर्द की एक प्रति अभियुक्त को दी जानी चाहिये और फर्द प्राप्ति के हस्ताक्षर फर्द पर पुनः बनवाये जाने चाहिये। फर्द पर विवेचक के हस्ताक्षर आवश्यक हैं।
नमूना फर्द ‘ए‘
फर्द बयान अभियुक्त गिरफ्तार शुदा
आज दिनाँक-……………………….. को समय ………….बजे दिन मुझ उ0नि0 पुलिस थाना ………………….. जनपद ………………… ने मुकदमा अपराध नम्बर ……………………….. धारा 302,394 भा0द0वि0 में गिरफ्तार किये गये अभियुक्त ………………………… निवासी ग्राम ……………………………… थाना ………………… जनपद ……………………. अभियुक्त ……………………….. से उक्त अपराध के बारे में थाने में समक्ष उ0नि0 श्री ……………………………………………… व आरक्षी ……………………………….. व आरक्षी ……………………… व गवाहान श्री ……………………… निवासी मोहल्ला ……. ………………….. था ………………………..जनपद ………………………. के पूछताछ की तो अभियुक्त ने बताया कि ” मैनें अपने गाँव के श्री …………………………….. की हत्या की है और हत्या में प्रयोग किया गया गड़ासा मैंनें गाँव के बाहर एक खेत में गाड़ कर छिपा दिया है जो मैं, चल कर निकाल सकता हूँ।” अभियुक्त के कथन की फर्द उक्त पुलिस कर्मियों व गवाहान के समक्ष लिखी जा रही है फर्द गवाहान को पढ़ कर गवाही गवाहान व अभियुक्त नीचे बनवाई जा रही है।
ह. गवाह उ0नि0 …………………………. ह.उ0नि0 ………………………………..
ह. गवाह आरक्षी …………………………. दिनाँक- …………………………………
ह. गवाह आरक्षी ………………………….
ह. गवाह ……………………………………..
ह. गवाह ……………………………………..
ह. अभियुक्त ………………………………………
नमूना फर्द ‘बी‘
फर्द लेने कब्जा में गड़ासा खून आलूदा
आज दिनाँक-……………. को मुझ उ0नि0 पुलिस ………………… थाना ………………….. जनपद ………………… ने थाने के मुकदमा अपराध नम्बर ……………….. धारा 302 भा0द0वि0 में गिरफ्तार किये गये अभियुक्त ………………. निवासी ग्राम ……………………………… थाना ………………… जनपद ……………………. अभियुक्त ……………………….. से उक्त अपराध के सम्बन्ध में समक्ष उ0नि0 श्री ……………………………………………… व आरक्षी ……………………………….. व आरक्षी ………………… व गवाहान श्री ………………….. निवासी मोहल्ला ………………… थाना ………………..जनपद………. ………………………. के पूछताछ करीब ……………. बजे दिन में की तो अभियुक्त ने उक्त अपराध के मृतक …………….. की हत्या करने की बात स्वीकार की और हत्या में प्रयुक्त गड़ासा गाँव के खेत में गाड़ कर छिपा देने की बात बताई व गड़ासा चल कर निकाल देने को कहा। अभियुक्त के उक्त कथन की फर्द थाने में उक्त पुलिसकर्मियों व जनता के उक्त गवाहान के समक्ष लिखी जा चुकी है। मैं उ0नि0 उक्त पुलिसकर्मियों व जनता के गवाहान के साथ अभियुक्त …………………….. को लेकर ग्राम ……………… में करीब …………….. बजे दिन आया अभियुक्त …………………. ने आगे आगे चलकर गाँव …………………… के पश्चिम तरफ श्री ……………….. के खेत में उत्तर तरफ मेड़ के पास मिट्टी हटाकर एक गड़ासा खून लगा हुआ निकाल कर उक्त गवाहान के समक्ष मुझ उ0नि0 को दिया जो कब्जा पुलिस में लिया गया है।
हुलिया गड़ासा
गड़ासा 12 इन्च लम्बा लोहे के फल का है। फल पर खून के धब्बे लगे हैं जो सूख गये हैं। गड़ासा का लकड़ी की बेंटा 05 इन्च लम्बा है।
उक्त गड़ासे को रूई में लपेट कर एक कपड़े में सी कर मौके पर ही सील मोहर कर दिया है और नमूना मोहर बनाया गया है। फर्द मौके पर तैयार की जा रही है और गवाहान को पढ़कर सुनाकर गवाही नीचे बनवाई जा रही है।
ह. गवाह उ0नि0 …………………………. ह.उ0नि0 ………………………………..
ह. गवाह आरक्षी …………………………. दिनाँक- …………………………………
ह. गवाह आरक्षी ………………………….
ह. गवाह ……………………………………..
ह. गवाह …………………………………….. ह. अभियुक्त ……………………………
नोट-फर्द की एक प्रति अभियुक्त को दी गई।
ह. अभियुक्त …………………………………… ह.उ0नि0 ………………………………..