लूट की घटना होने पर विवेचक को तत्काल घटनास्थल पर जाना चाहिये तथा निम्न कार्यवाही यथाशीघ्र पूर्ण करनी चाहियेः–
- लूट की सूचना प्राप्त होने पर सर्वप्रथम वादी व चश्मदीद गवाहों से अभियुक्तों की हुलिया, कपड़ा तथा वाहन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कर कन्ट्रोल रूम के माध्यम से सूचना प्रसारित करानी चाहिये तथा अपराधियों के भागने की दिशा में पड़ने वाले थानों/चौकियों/पिकेट को सूचित व सतर्क करते हुये सघन चेकिंग करायी जानी चाहिये।
- यदि लूट की घटना में मोबाईल फोन भी अभियुक्तों द्वारा ले जाया गया है, तो उसका नम्बर प्राप्त कर छोटे-छोटे अन्तराल पर लगातार ब्लैंक मैसेज भेजना चाहिये।
- अभियुक्तों के आने-जाने वाले रास्ते तथा टोल-प्लाजा सहित विभिन्न स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का अवलोकन कर अभियुक्तों की पहचान करने का प्रयास करना चाहिये।
- लूट की घटना में यदि अभियुक्तों द्वारा वादी का कोई दस्तावेज, पहचान पत्र, नम्बरी सामान अथवा रूपया ले जाया गया है, तो विवेचक द्वारा इस बिन्दु पर स्पष्ट व विस्तृत रूप से केस डायरी में उल्लेख किया जाना चाहिये।
- संदिग्ध व्यक्तियों तथा चश्मदीद साक्षियों का पूर्ण विवरण जैसे- नाम,पिता का नाम, गाँव, थाना, जिला, मोबाईल नम्बर प्राप्त कर केस डायरी में स्पष्ट रूप से उल्लेख करना चाहिये।
- अभियुक्तों का हुलिया तथा सीसीटीवी फुटेज प्राप्त कर जनपद के अन्दर तथा आस-पास के जनपदों के सभी थानों, डीसीआरबी के माध्यम से मिलान कराकर अभियुक्तों की पहचान सुनिश्चित करना चाहिये।
- अभियुक्तों का पता लगाने हेतु मुखबिर लगाना चाहिये तथा जेलों में बन्द अपराधियों के माध्यम से भी सुरागरसी करानी चाहिये।
अभियुक्तों की गिरफ्तारी के पश्चात उनके निशानदेही पर उनके कब्जे से लूट का माल मय नम्बरी माल (डीएल, पहचान पत्र, लाईसेन्सी शस्त्र, पासपोर्ट) आदि साक्षियों के समक्ष बरामद कर फर्द (धारा 27 साक्ष्य अधिनियम) तैयार करना चाहिये।