बलात्कार की घटना होने पर निम्न कार्यवाही यथाशीघ्र पूर्ण करनी चाहियेः–
A. प्र0सू0रि0 (154 दं0प्र0सं0) के सम्बन्ध मेः- यदि किसी स्त्री द्वारा भा0द0वि0 की धारा 326-क, 326-ख, 354, 354-क, 354-ख, 354-ग, 354-घ, 376, 376-क, 376-ख, 376-ग, 376-घ, 376-ड़ या धारा 509 के अधीन किसी अपराध के किये जाने या किये जाने का प्रयत्न किये जाने का अभिकथन किया गया है, कोई सूचना दी जाती है तो ऐसी सूचना किसी महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा अभिलिखित की जायेगी और ऐसी स्त्री को विधिक सहायता और किसी स्वास्थय देखभाल कार्यकर्ता या महिला संगठन या दोनों की सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। परन्तु यह और किः-
क- यदि वह व्यक्ति जिसके विरूद्ध भा0द0वि0 की धारा 354, 354-क, 354-ख, 354-ग, 354-घ, 376, 376-क, 376-ख, 376-ग, 376-घ, 376-ड़ या धारा 509 के अधीन किसी अपराध के किये जाने या किये जाने का प्रयत्न किये जाने का अभिकथन किया गया है, अस्थायी या स्थायी रूप से मानसिक या शारीरिक रूप से निःशक्त है, तो ऐसी इत्तिला किसी पुलिस अधिकारी द्वारा उस व्यक्ति के, जो ऐसे अपराध की रिपोर्ट करने की इप्सा (इच्छा) करता है, निवास स्थान पर या उस व्यक्ति के विकल्प के किसी सुगम स्थान पर, यथास्थिति, किसी द्विभाषिये या किसी विशेष प्रबोधक की उपस्थिति में अभिलिखित की जायेगी।
ख- ऐसी इत्तिला के अभिलेखन की वीडियो फिल्म तैयार की जायेगी।
ग- पुलिस अधिकारी द्वारा धारा 164 की उपधारा (5-क) के खण्ड (क) के अधीन किसी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा उस व्यक्ति का कथन यथासम्भव शीघ्र अभिलिखित करायेगा।
B. (161-दं0प्र0सं0 का बयान)– ऐसी स्त्री का कथन, जिसके विरूद्ध भा0द0वि0 की धारा 354, 354-क, 354-ख, 354-ग, 354-घ, 376, 376-क, 376-ख, 376-ग, 376-घ, 376-ड़ या धारा 509 के अधीन किसी अपराध के किये जाने या किये जाने का प्रयत्न किये जाने का अभिकथन किया गया है, किसी महिला पुलिस अधिकारी या किसी महिला अधिकारी द्वारा अभिलिखित किया जायेगा।
C. (164क-दं0प्र0सं0 बलात्संग के शिकार हुये व्यक्ति की शारीरिक परीक्षा)–
(1) जहाँ, ऐसे प्रक्रम के दौरान जब बलात्संग या बलात्संग करने का प्रयत्न करने के अपराध का अन्वेषण किया जा रहा है उस स्त्री के शरीर की, जिसके साथ बलात्संग किया जाना या करने का प्रयत्न करना अभिकथित है, किसी चिकित्सा विशेषज्ञ से परीक्षा कराना प्रस्थापित है वहां ऐसी परीक्षा, सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा चलाये जा रहे किसी अस्पताल में नियोजित रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा, और ऐसे व्यवसायी की अनुपस्थिति में किसी अन्य रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी द्वारा ऐसी स्त्री की सहमति से या उसकी ओर से ऐसी सहमति देने के लिये सक्षम व्यक्ति की सहमति से की जायेगी और ऐसी स्त्री को ऐसा अपराध किये जाने से संबंधित इत्तिला प्राप्त होने के समय से चौबीस घण्टे के भीतर ऐसे रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी के पास भेजा जायेगा।
(2) वह रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी, जिसके पास ऐसी स्त्री भेजी जाती है, बिना किसी विलम्ब के, उसके शरीर की परीक्षा करेगा और एक परीक्षा रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें निम्नलिखित ब्यौरे दिये जायेंगे, अर्थात–
- स्त्री का, और उस व्यक्ति का, जो उसे लाया है, नाम और पता ;
- स्त्री की आयु ;
- डी0एन0ए0 प्रोफाइल करने के लिये स्त्री के शरीर से ली गई सामग्री का वर्णन ;
- स्त्री के शरीर पर क्षति के, यदि कोई है, चिन्ह ;
- स्त्री की साधारण मानसिक दशा ; और
- उचित ब्यौरे सहित अन्य तात्विक विशिष्टियाँ।
(3) रिपोर्ट में संक्षेप में वे कारण अभिलिखित किये जाएंगे जिनसे प्रत्येक निष्कर्ष निकाला गया है।
(4) रिपोर्ट में विर्निदिष्ट रूप से यह अभिलिखित किया जायेगा कि क्या ऐसी परीक्षा के लिये स्त्री की सहमति या उसकी ओर से ऐसी सहमति देने के लिये सक्षम व्यक्ति की सहमति, अभिप्राप्त कर ली गई है।
(5) परीक्षा प्रारम्भ और समाप्त करने का सही समय भी रिपोर्ट में अंकित किया जायेगा।
(6) रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी, बिना विलम्ब के, रिपोर्ट अन्वेषण अधिकारी को भेजेगा जो उसे धारा 173 में निर्दिष्ट मजिस्ट्रेट को, उस धारा की उपधारा (5) के खंड (क) में निर्दिष्ट दस्तावेजों के रूप में भेजेगा।
(7) इस धारा की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जायेगा कि वह स्त्री की सहमति के बिना या उसकी ओर से ऐसी सहमति देने के लिये सक्षम किसी व्यक्ति की सहमति कि बिना किसी परीक्षा को विधिमान्य बनाती है।
A. (53-क दं0प्र0सं0 बलात्संग के अपराधी व्यक्ति की चिकित्सा व्यवसायी द्वारा परीक्षा)–
(1) जब किसी व्यक्ति को बलात्संग या बलात्संग करने का अपराध करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और यह विश्वास करने का उचित आधार है कि इस व्यक्ति की परीक्षा या ऐसा अपराध करने के बारे में साक्ष्य प्राप्त होगा तो सरकार द्वारा या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा चलाये जा रहे अस्पताल में नियोजित किसी रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी के लिये, और उस स्थान से जहाँ अपराध किया गया है, सोलह किलोमीटर की परिधि के भीतर ऐसे चिकित्सा व्यवसायी की अनुपस्थिति में उप-निरीक्षक से अनिम्न रैंक के पुलिस अधिकारी के निवेदन पर किसी अन्य रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी के लिये, सद्भावपूर्वक उसकी सहायता के लिये तथा उसके निदेश के अधीन कार्य कर रहे किसी व्यक्ति के लिये, ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति की ऐसी परीक्षा करना और उस प्रयोजन के लिये उतनी शक्ति का प्रयोग करना जितना युक्तियुक्त रूप से आवश्यक हो, विधिपूर्ण होगा।
(2) ऐसी परीक्षा करने वाला रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी ऐसे व्यक्ति की बिना विलम्ब के परीक्षा करेगा और उसकी परीक्षा की एक रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें निम्नलिखित विशिष्टियाँ दी जाएंगी, अर्थात् —
- अभियुक्त का, और उस व्यक्ति का जो उसे लाया है, नाम और पता ;
- अभियुक्त की आयु ;
- अभियुक्त के शरीर पर उपहति का चिन्ह, यदि कोई हो ;
- डी0एन0ए0 प्रोफाइल करने के लिये अभियुक्त के शरीर से ली गई सामग्री का वर्णन ; और
- उचित ब्यौरे सहित, अन्य तात्विक विशिष्टियाँ।
(3) रिपोर्ट में संक्षेप में वे कारण अधिकथित किये जायेंगे जिनसे प्रत्येक निष्कर्ष निकाला गया है।
(4) परीक्षा प्रारम्भ और समाप्ति करने का सही समय भी रिपोर्ट में अंकित किया जायेगा।
(5) रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी, बिना विलम्ब के अन्वेषण अधिकारी को रिपोर्ट भेजेगा जो उसे धारा 173 में निर्दिष्ट मजिस्ट्रेट को उस धारा की उपधारा (5) के खण्ड (क) में निर्दिष्ट दस्तावेजों के भाग के रूप में भेजेगा।
- सर्वप्रथम घटनास्थल को यलो टेप से सुरक्षित करना चाहिये तथा आवश्यकतानुसार घटनास्थल की सुरक्षा हेतु पुलिसकर्मी की ड्यूटी लगानी चाहिये।
- पीड़िता व अभियुक्त के कपड़ों को तथा पीड़िता के शरीर से लिया गया विभिन्न स्वाब तथा अभियुक्त का डीएनए टेस्ट हेतु रक्त सैम्पल लेकर परीक्षण हेतु विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजना चाहिये।
- पीड़िता की निशानदेही पर घटनास्थल का निरीक्षण करना चाहिये तथा मौके पर मिले भौतिक वस्तुओं जैसे बाल, रक्त, लार, आदि को साक्षियों के समक्ष कब्जा पुलिस में लेकर फर्द तैयार करना चाहिये तथा डीएनए परीक्षण कराना चाहिये।
- बलात्कार पीड़िता “शिशु” है तो विवेचना उस तिथि से 03 माह के भीतर पूरी की जायेगी, जब पुलिस थाना के भारसाधक अधिकारी द्वारा सूचना लेखबद्ध की गयी थी (धारा 173 दं0प्र0सं0 की उपधारा 1-क के अनुसार)।
- यदि पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम है तो पोक्सो अधिनियम (POCSO Act.) के तहत भी कार्यवाही करनी चाहिये।
- किसी दशा में पीड़िता को न तो अभियुक्त के सामने किया जाये और ना ही पीड़िता का नाम-पता सार्वजनिक किया जाये।
- पीड़िता का मेडिकल परीक्षण 24 घण्टे के अन्दर अवश्य करा लिया जाये (धारा 164-क दं0प्र0सं0 के अनुसार)।
- यदि अभियुक्त शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया गया है तो उसका चिकित्सकीय परीक्षण कराना चाहिये तथा मुख्य रूप से चिकित्सक से यह राय लेनी चाहिये कि अभियुक्त के लिंग पर ” शिश्नमल ” (यदि कोई पुरूष सफाई ना करे तो उसके लिंग के अग्रभाग पर चर्बी के स्राव का एक लेयर जमा हो जाता है, जिसे शिश्नमल (Smegma) कहते हैं। सेक्स करने के बाद यह शिश्नमल समाप्त हो जाता है।) मौजूद है अथवा नहीं।
- पीड़िता के साथ महिला पुलिस अधिकारी का होना अनिवार्य है तथा पीड़िता की माँ अथवा अन्य महिला व पुरूष परिजनों को पीड़िता के साथ रखना चाहिये।
- पीड़िता का 164 दं0प्र0सं0 के अन्तर्गत बयान अवश्य दर्ज कराना चाहिये। पीड़िता अथवा किसी महिला को किसी भी दशा में रात्रि के समय थाना परिसर में नहीं रखना चाहिये।
- यदि पीड़िता की मेडिकल व बयान हेतु लगातार आवश्यकता है तो उसे अस्पताल अथवा पंजीकृत नारी संरक्षणगृह में रखना चाहिये, यदि सुविधा उपलब्ध नहीं है तो पीड़िता को उसके परिजनों के संरक्षण में रखना चाहिये परन्तु किसी भी दशा में रात्रि के समय थाना परिसर में नहीं रखना चाहिये।
- यदि पीड़िता शिशु है तो सम्बन्धित सभी पुलिसकर्मियों को सादे वस्त्र में रहना चाहिये।
- पीड़िता की आयु के समर्थन में अभिलेखों के माध्यम से जन्मतिथि की जानकारी करनी चाहिये तथा ऐसे अभिलेखों को प्रदर्श के रूप में न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहिये।
- अज्ञात अभियुक्तों की दशा में पीड़िता/चश्मदीद गवाहों से हुलिया, कपड़ा तथा वाहन के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कर अभियुक्त का पता लगाना चाहिये, साथ ही यदि सीसीटीवी फुटेज आस-पास का प्राप्त कर अभियुक्त का पहचान करने का प्रयास करना चाहिये।
- अज्ञात अभियुक्तों की दशा में संदिग्ध व्यक्तियों के डीएनए टेस्ट के माध्यम से अभियुक्त का पता लगाने का प्रयास करना चाहिये।
- बलात्कार के अभियुक्त की फोटोग्राफी अवश्य करानी चाहिये।
- पीड़ित,घायल तथा अन्य साक्षियों का बयान यथाशीघ्र 24 घण्टे के अन्दर विवेचक द्वारा दर्ज कर लेना चाहिये, इससे ज्यादा विलम्ब होने पर केस डायरी में कारण अवश्य अंकित करना चाहिये।
- घटनास्थल का नक्शा-नजरी अवश्य बनाना चाहिये, जिसमें इण्डेक्स के रूप में पूर्ण विवरण दर्ज किया जाये।
- यदि बलात्कार के कारण पीड़िता गर्भवती हो गयी है तो पीड़िता के फिटस का डीएनए टेस्ट का मिलान अभियुक्त के डीएनए टेस्ट से कराना चाहिये।
- बलात्कार के घटनास्थल का निरीक्षण फील्ड यूनिट की मौजूदगी तथा सहयोग से करना चाहिये तथा घटनास्थल की फोटोग्राफी अवश्य करानी चाहिये।
जहाँ तक सम्भव हो सके विवेचक द्वारा विवेचना के दौरान गवाहों, पीड़ित, अभियुक्त आदि की सीडीआर प्राप्त कर एनालिसिस करना चाहिये।